लाल-दलाल.... यह साम्यवाद, मार्क्सवाद, प्रगतिशीलता, सेकुलरिज्म, और जनवाद के नाम पर नंदीग्राम, नक्सलवाद और जातिवादी राजनीति करनेवाले भारतीय 'कौमनष्टों' (कम्युनिष्टों) का कच्चा-चिट्ठा हैं. जो फिलहाल जे एन यु से लेकर कोलकाता और बस्तर तक, केरल से उडीसा तक और मानवाधिकार से लेकर साहित्य में अपनी लाल-दलाली चला रहे हैं.
नक्सली स्कूल-कोलेज क्यों नहीं बनाते? माफ़ करना इस विषय में कोई लंबा चौड़ा लेख नहीं परोस रहा हूँ, बल्कि एक कार्टून पुन: प्रकाशित कर रहा हूँ. अंगरेजी दैनिक डीएनए में मंजुल का यह कार्टून काफी कुछ कह जाता है. ज़रा गौर फरमाइए.