tag:blogger.com,1999:blog-57619330991746796682024-03-14T13:32:15.645+05:30लाल-दलाललाल-दलाल.... यह साम्यवाद, मार्क्सवाद, प्रगतिशीलता, सेकुलरिज्म, और जनवाद के नाम पर नंदीग्राम, नक्सलवाद और जातिवादी राजनीति करनेवाले भारतीय 'कौमनष्टों' (कम्युनिष्टों) का कच्चा-चिट्ठा हैं. जो फिलहाल जे एन यु से लेकर कोलकाता और बस्तर तक, केरल से उडीसा तक और मानवाधिकार से लेकर साहित्य में अपनी लाल-दलाली चला रहे हैं.जीत भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/15809114716055272312noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5761933099174679668.post-7709035915221886732011-11-18T02:49:00.000+05:302011-11-18T02:49:22.023+05:30आदिवासियों की भलाई के नाम पर नक्सली<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><h1 style="font-weight: normal; margin-bottom: 2px; margin-top: 5px;"><b><span style="font-size: small;">माओवादी दंपती ने किया ममता के आगे समर्पण</span></b></h1>कोलकाता [जागरण ब्यूरो]। जंगलमहल की खूंखार माओवादी कमांडर जागरी बास्के व उसके पति राजाराम सोरेन ने गुरुवार को राइटर्स बिल्डिंग स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया। वे बिना हथियार के पांच वर्ष के अपने बेटे के साथ राइटर्स बिल्डिंग पहुंचे और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिले। दोनों के खिलाफ हत्या के आठ मामले दर्ज हैं। जागरी फरवरी, 2010 में सिल्दा ईएफआर [ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स] कैंप पर हुए हमले में भी शामिल थी, जिसमें 21 जवान शहीद हुए थे। मुख्यमंत्री ने मुख्यधारा में लौटने पर दोनों का स्वागत किया। दोनों के बेटे बहादुर की कक्षा 12 तक की मुफ्त पढ़ाई व सरकार द्वारा घोषित पैकेज देने का आश्वासन दिया। <br />
मुख्यमंत्री और अधिकारियों की उपस्थिति में माओवादी दंपती ने संवाददाताओं से बातचीत में अपनी व्यथा और मंशा जताई। जागरी ने कहा कि 10 वर्ष पहले<b> जब वह 16 वर्ष की थी, तब आदिवासियों की भलाई के नाम पर नक्सली उसे जबरदस्ती अपने साथ ले गए थे</b>। इसके बाद हथियार चलाने व लोगों की हत्या करने का उसे प्रशिक्षण दिया गया। लेकिन जल्द ही उसे माओवादियों की असली मंशा का पता चल गया और उसके बाद से वह उनके बीच से निकलने का मौका देखने लगी। जागरी मूल रूप से झारखंड के सिंहभूम जिले के पटमदा की रहने वाली है, लेकिन उसकी मां का घर पश्चिमी मेदिनीपुर के बेलपहाड़ी इलाके में है। उसने बताया कि माओवादी स्क्वाड में महिलाओं पर अत्याचार होता है। उसका पति राजाराम सोरेन बांकुड़ा का रहने वाला है। दोनों नक्सलियों के एक्शन स्क्वाड के सदस्य थे। <br />
एसएलआर व विस्फोटक मिला <br />
कोलकाता। सुरक्षा बलों ने जंगलमहल में गुरुवार को नक्सलियों के खिलाफ अभियान और तेज कर दिया। पुरुलिया जिले के अलावा पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के कई इलाकों में सुरक्षा बलों ने गश्त की। इस दौरान लालगढ़ और सालबनी के मध्य पूरणपानी नामक जगह से एक सेल्फ लोडिंग राइफल [एसएलआर] और विस्फोटक पदार्थ बरामद हुआ।<br />
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Source:<a href="http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/Wanted-Maoist-couple-surrender-meet-Mamata-Banerjee_5_2_8503256.html">Dainik Jagran</a><br />
<h1 style="margin-bottom: 2px; margin-top: 5px;"> </h1></div>जीत भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/15809114716055272312noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5761933099174679668.post-77606809724384841812011-07-18T13:37:00.002+05:302011-07-18T13:48:42.447+05:30पुरानी मगर सोचने लायक कम्युनिस्टी करतूत की खबर.<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/-o_umphjHdxI/TiPlTZeILqI/AAAAAAAAACw/ueCfu2gjg74/s1600/JNU.JPG" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://2.bp.blogspot.com/-o_umphjHdxI/TiPlTZeILqI/AAAAAAAAACw/ueCfu2gjg74/s1600/JNU.JPG" /></a></div>जीत भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/15809114716055272312noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5761933099174679668.post-53059689894064757092011-02-04T01:29:00.000+05:302011-02-04T01:29:58.603+05:30खून-खराबे के पर्याय कम्युनिस्ट<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">नंदीग्राम से लेकर सिंगुर और नक्सलबाड़ी से लेकर कंधमाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के चंद्रपुर और केरल में हिंसा का नंगा नाच करने में हमारे कम्युनिस्ट माहिर हैं. कहीं पर वह नक्सलवाद का रूप धर लेता है तो कहीं विनायक सेन या तीस्ता जावेद सेतलवाड या अरुंधती सुजैन राय जैसा मानवाधिकारवादी का चोला पहन लेता है. वह नेतागिरी ही नहीं बल्कि एनजीओ से लेकर मीडिया और साहित्य तक में घुसपैठ कर लेता है.<br />
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नेपाल और कश्मीर में वह आजादी की पैरवी करता है लेकिन मिस्र (इजिप्त) में तानाशाहों की बदहाली से इतना डर जाता है कि अपने चीन में फेसबुक और गूगल पर पाबंदी लगा देता है. इस डर से कि कहीं आम जनता इन माध्यमो से जग ना जाए और उसकी तानाशाही को चुनौती न दे डाले. उसे विरोध या विपरीत विचारधारा ज़रा भी सहन नहीं होती. कोई उसकी पोल खोले तो यह उसे फासिस्ट घोषित कर देता है. और यही डर और कुत्सित वृत्ति उसे भयानक और हिंसक भी बनाती है.<br />
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यह वक्त के सात अपना रूप बदलता है. कहीं जेहादियों से हाथ मिलाता है तो कहीं धर्मान्तरण को उतारू मिशनरियो का हमजोली बनाता है कम्युनिस्ट. लेकिन इसके मूल में हिंसा ही व्याप्त है. इसलिए जहां भी जाता है नरसंहार उसका औजार होता है. कम्युनिस्ट विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती एक कलाकृति यहाँ पेश है. <br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://4.bp.blogspot.com/_KuUyV2c8j_k/TUsHmptQu3I/AAAAAAAAACc/rD8QrcochXw/s1600/Comunist.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="http://4.bp.blogspot.com/_KuUyV2c8j_k/TUsHmptQu3I/AAAAAAAAACc/rD8QrcochXw/s320/Comunist.JPG" width="320" /></a></div><br />
</div>जीत भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/15809114716055272312noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5761933099174679668.post-10546858697666220992010-04-15T03:19:00.003+05:302010-04-15T03:33:13.918+05:30नक्सली स्कूल-कोलेज क्यों नहीं बनाते?<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_KuUyV2c8j_k/S8Y3gWgkzZI/AAAAAAAAAB4/POEEIavsbLQ/s1600/Naxal.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; cssfloat: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="400" src="http://2.bp.blogspot.com/_KuUyV2c8j_k/S8Y3gWgkzZI/AAAAAAAAAB4/POEEIavsbLQ/s400/Naxal.jpg" width="347" wt="true" /></a></div><span style="color: red;">नक्सली स्कूल-कोलेज क्यों नहीं बनाते?</span><br />
<span style="color: red;">माफ़ करना इस विषय में कोई लंबा चौड़ा लेख नहीं परोस रहा हूँ, बल्कि एक कार्टून पुन: प्रकाशित कर रहा हूँ. अंगरेजी दैनिक डीएनए में मंजुल का यह कार्टून काफी कुछ कह जाता है. ज़रा गौर फरमाइए.</span>जीत भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/15809114716055272312noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5761933099174679668.post-74789405837787701212010-03-06T01:45:00.000+05:302010-03-06T01:45:30.556+05:30माओवादियों के खतरनाक इरादे!मानवतावाद की लच्छेदार भाषा के साथ सफेदपोश चेहरे लेकर साफगोई से माओवादियों और नक्सलियों की पैरवी करनेवाले सेन, सान्याल जैसे लोग चाहे कुछ भी कहे, माओवादियों के इरादे बड़े खतरनाक है. मजे की बात है भारत-विरोधी और जन-विरोधी मंशाओं के बावजूद मीडिया और मानवाधिकार जैसे विभिन्न क्षेत्रो में इन माओवादियों के हमदर्द मिल जाते हैं. क्या हमारे मीडिया और विभिन्न संस्थानों में घुसपैठ कर चुके कम्यूनिस्टो को यह सच नहीं मालुम नहीं कि माओवाद और नक्सलवाद देश और जनता के लिए एक घातक अभियान है...? जिसका खामियाजा आनेवाली पीढियों को भुगतना पडेगा. नेपाल में माओवाद के उभरते ही वह भारत विरोधी हो गया. वही भारत में जहां भी माओ और नक्सल के इन सपूतो के खिलाफ कार्रवाई होती है, तो ये रहनुमा बवाल करते हैं. चाहे वह बस्तर हो या उड़ीसा. चंद्रपुर हो या आँध्रप्रदेश. और माओवाद व नक्सलवाद के लिए व्यवस्था और लोकतंत्र को गालिया देकर हिंसक करतूतों को सही ठहराने की कोशिश करते हैं. लेकिन हाल ही में आयोजित एक सेमिनार में माओवाद के खतरनाक इरादों की झलक मिलती है.<br />
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आइए इस सम्बन्ध में दैनिक जागरण में छपी खबर पर नजर डालते हैं..<br />
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<strong>भारत पर राज करना चाते हैं माओवादी</strong><br />
<em>नई दिल्ली। माओवादियों की सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने की योजना है और 2050 तक वह सरकार पर नियंत्रण करना चाहते हैं। यह बात आज केंद्रीय गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कही। </em><br />
<em>'लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म इन इंडिया' पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए पिल्लई ने कहा कि विध्वंसक गतिविधियां चलाने के लिए माओवादियों को कुछ पूर्व सैनिकों का सहयोग भी मिलने की आशंका है। </em><br />
<em>उन्होंने कहा, 'भारतीय गणतंत्र को वह कल या परसों उखाड़ फेंकना नहीं चाहते। एक पुस्तिका के अनुसार उनकी रणनीति 2050 की है जबकि कुछ दस्तावेजों के अनुसार यह 2060 है।' </em><br />
<em>पिल्लई के अनुसार नक्सली 2012 या 2013 को अपना लक्ष्य बनाकर नहीं चल रहे। यह लंबी धीमी योजना है और पिछले 10 वर्षों में उन्होंने धीरे-धीरे अपनी गतिविधियों को अंजाम दिया है। उन्होंने कहा कि अब वह भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन वह इसे अभी नहीं करना चाहते। वह जानते हैं कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। वह देश की ताकत का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। इसलिए वह धीरे-धीरे चल रहे हैं। </em><br />
<em>गृह सचिव ने कहा कि माओवादी किसी भी देश की सेना की तरह अच्छी तरह प्रशिक्षित एवं प्रतिबद्ध हैं और आशंका है कि कुछ पूर्व सैनिक उनकी सहायता कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह काफी प्रतिबद्ध हैं, च्च्च प्रशिक्षित हैं। मुझे विश्वास है कि कुछ पूर्व सैनिक या कुछ लोग उनके साथ हैं। </em><br />
<em>इसके लिए कारण बताते हुए पिल्लई ने कहा कि कोई हमला शुरू करने से पहले नक्सलवादी पूरे अभियान का विश्लेषण करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक हमले के बाद वह इसका विश्लेषण करते हैं। विश्लेषण किसी देश की सशस्त्र सेना के स्तर का होता है। गृह सचिव ने कहा कि पिछले वर्ष नक्सली हिंसा में 908 लोगों की जान गई जो 1971 के बाद सबसे ज्यादा है और यह इस वर्ष ज्यादा तो अगले वर्ष कम हो सकता है। </em><br />
<em>पिल्लई के अनुसार भले ही संयुक्त नक्सल विरोधी अभियान जारी है लेकिन नक्सलियों को अभी तक कोई बड़ा झटका नहीं लगा है और सरकार को उन इलाकों पर नियंत्रण करने में सात से आठ वर्ष लग सकते हैं जिन पर माओवादियों ने कब्जा कर रखा है। </em><br />
<em>उन्होंने कहा, 'अभियान में कट्टर माओवादियों के पांच फीसदी को भी निशाना नहीं बनाया गया है। वास्तविक हथियारबंद कैडर अब भी सामने नहीं आए हैं।' पिल्लई ने कहा कि जब तक उन्हें खतरा महसूस नहीं होगा, वे वार्ता के लिए नहीं आएंगे और शांति को लेकर वह जो भी बयान दे रहे हैं उसमें वे गंभीर नहीं हैं।</em><br />
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<a href="http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_6231563.html">http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_6231563.html</a>जीत भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/15809114716055272312noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5761933099174679668.post-64579176640404879802009-08-14T02:31:00.005+05:302009-08-14T02:39:29.814+05:30वोट बैंक की चापलूसी का एक और कम्युनिस्ट कारनामा<span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;font-size:14px;"><span class="Apple-style-span" style="color:#009900;"><span class="Apple-style-span" style="font-size:medium;">देखिये हमारे 'सेकुलर' कम्युनिस्टों को सत्ता के लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ रहा है.</span></span> </span><div><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;font-size:14px;"><span class="Apple-style-span" style="font-size: 16px; color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold; ">रूठे मुस्लिमों को मनाने निकलेंगे वामदल<span class="Apple-style-span" style="color: rgb(0, 0, 0); font-family: Georgia; font-weight: normal; line-height: normal; white-space: normal; "><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;font-size:14px;"> </span><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;"><span class="Apple-style-span" style="font-size: x-small;">Aug 13, 10:37 pm</span></span></span></span></span><blockquote><div><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;"></span><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;font-size:14px;"><span class="Apple-style-span" style="font-size: 16px; ">नई दिल्ली [टी ब्रजेश]। लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों की नाराजगी का खामियाजा भुगत चुके वामदल एक बार फिर उन पर डोरे डालने में जुट गए हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिमों को वापस अपने खेमे में लाने की रणनीति वामपंथी कुनबे में जोर-शोर से बन रही है। वामदल विशेष अभियान के जरिए मुस्लिम वोटरों को लुभाएंगे, तो वहीं पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार भूमि, रोजगार और शिक्षा को लेकर अपनी नीति में व्यापक सुधार के सहारे उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश करेगी। माकपा के मुस्लिम नेताओं का जत्था अभी से अल्पसंख्यकों के बीच वामदलों की छवि सुधारने में जुटेगा। इस विशेष अभियान के तहत माकपा के कामरेड घूम-घूम कर यह बताएंगे कि कैसे बंगाल सरकार के कई फैसले मुस्लिम समुदाय के हित को ध्यान में रख कर किए गए थे। वहीं मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य कुछ ऐसे फैसले करते नजर आएंगे जिनसे माकपा के पारंपरिक वोट बैंक माने जाने वाले इस समुदाय की सहानुभूति वापस हासिल की जा सके। सूत्रों के अनुसार माकपा नेतृत्व ऐसे मुस्लिम नेताओं की सूची तैयार कर रहा है जिनकी अपने समुदाय में अच्छी पैठ हो। साथ ही उन इलाकों को छांटा जा रहा है जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद निर्णायक हो। जानकारों की मानें तो बंगाल की तकरीबन 18 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां 20 फीसदी वोटर मुस्लिम समुदाय के हैं। जाहिर है इन सीटों में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्रों पर वाम दलों की विशेष नजर है। माकपा के मुस्लिम चेहरों में बंगाल के भूमि सुधार मंत्री अब्दुर रज्जाक मोल्लाह का नाम विशेष तौर पर लिया जा रहा है। अगर उन्हें अभियान में अहम भूमिका मिल जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए। वैसे लोकसभा चुनाव के बाद बुद्धदेव और उनकी सरकार पर हमलावर रहे मोल्लाह तो माकपा नेतृत्व के निशाने पर ठीक उसी तरह रहे जैसे दिवंगत परिवहन मंत्री सुभाष चक्रवर्ती। लेकिन अब माकपा नेतृत्व को अहसास हो रहा है कि भूमि अधिग्रहण का विरोध कर मोल्लाह ने मुस्लिमों के बीच जो छवि बनाई है उसे भुनाने का मौका आ गया है। भूमि अधिग्रहण मंत्रालय का जिम्मा मोल्लाह को सौंप कर माकपा ने पहले ही मुस्लिमों को अपनी गलती का अहसास होने का संकेत दे दिया था। फिर मुहम्मद सलीम भी इस लिहाज से माकपा नेतृत्व को खासा पसंद आ रहे हैं। वहीं राज्य सभा सदस्य मुहम्मद अमीन की प्रभावी भाषण शैली को भी माकपा खूब आजमाना चाह रही है। अमेरिका के खिलाफ जहर बुझे व्यंग्य तीर मारने में निपुण अमीन मुस्लिमों के समक्ष इराक और अफगानिस्तान में वाशिंगटन की 'नकारात्मक' भूमिका का चित्र खींचते नजर आ सकते हैं। वहीं श्रमिकों के मुद्दों को गहराई से पहचानने वाले हन्नान मोल्लाह भी विशेष अभियान में अपनी सेवाएं देते दिख सकते हैं। ऐसे ही कई मुस्लिम चेहरों का चुनाव माकपा को करना है। इस माह के अंत में प्रस्तावित पोलित ब्यूरो की बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा होनी है। माकपा महासचिव प्रकाश करात अपने वरिष्ठ सदस्यों के साथ तय करेंगे कि विशेष अभियान का जिम्मा किसे देने में सबसे ज्यादा फायदा होगा। माकपा रणनीतिकारों का मानना है कि केवल अमेरिका को खरी खोटी सुनाने से ही नहीं चलेगा, बल्कि वाममोर्चा सरकार को कुछ करके भी दिखाना होगा ताकि मुस्लिमों को रिझाने के लिए पार्टी को कुछ ठोस आधार मिल सके। (साभार: दैनिक जागरण)</span></span></div></blockquote></div>जीत भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/15809114716055272312noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-5761933099174679668.post-17111947238655591522009-08-13T20:03:00.000+05:302009-08-13T20:06:49.941+05:30तिब्बती जनता पर चीनी जुल्म के सन्दर्भ में ओलम्पिक<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://2.bp.blogspot.com/_KuUyV2c8j_k/SoQkqdJGwtI/AAAAAAAAAAs/aPxnQAYjWjI/s1600-h/OLY.CHINA.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 255px; height: 320px;" src="http://2.bp.blogspot.com/_KuUyV2c8j_k/SoQkqdJGwtI/AAAAAAAAAAs/aPxnQAYjWjI/s320/OLY.CHINA.JPG" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5369456967528399570" /></a>जीत भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/15809114716055272312noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5761933099174679668.post-47732859839392477952009-08-13T19:32:00.000+05:302009-08-13T20:08:41.120+05:30कम्युनिस्ट बनने की पहली शर्त<span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;"><span class="Apple-style-span" style="font-size:medium;"><b>दुनिया के बाकी देशों की तुलना में भारत में कम्युनिस्ट होने की शर्ते अलग हैं. </b></span></span><div><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;"><span class="Apple-style-span" style="font-size:medium;">अगर आप निम्न में से कोई एक करतूत -कारनामा करें तो आपको कम्युनिस्ट, साम्यवादी, समाजवादी, जनवादी, प्रगतिशील, बुद्धिजीवी जैसा तमगा मिल सकता है. इसके बाद आपका हर काम आसान हो जाता चाहे कम्युनिस्ट, कोंग्रेस या स पा, बसपा, पासवान की सरकारों से कोई फायदा उठाना हो या विदेशी और मिशनरी सहायता. मीडिया में नाम कमाना हो या साहित्य में. इसके लिए आपका बस कम्युनिस्ट होना ही काफी है. और इसके लिए आपको करना होगा:</span></span></div><div><ul><li><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;"><span class="Apple-style-span" style="font-size:medium;">मानवाधिकार के नाम पर काश्मीर और मणीपुर में फौजों को बदनाम करना, <b>लेकिन</b> काश्मिरी पंडितों पर होने वाले जुल्मों-सितम पर नपुन्सकी मौन धारण करना. -नक्सलवाद और माओवाद की</span></span></li><li><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;"><span class="Apple-style-span" style="font-size:medium;">प्रत्यक्ष और परोक्ष वकालात करना <b>लेकिन</b> भोले आदिवासियों के सरल आन्दोलन सलवा जुडूम को बदनाम करना. </span></span></li><li><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;"><span class="Apple-style-span" style="font-size:medium;">बात-बे बात पर मानवाधिकार करना <b>लेकिन</b> सत्ता मिलाने पर केरल से लेकर नंदीग्राम तक मासूमों के खून की नदिया बहाना. </span></span></li><li><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;"><span class="Apple-style-span" style="font-size:medium;">नेपाल में राजतंत्र के खात्मे और साम्यवादी कब्जे के लिए जी तोड़ कोशिश करना <b>लेकिन </b>तिब्बत में तिब्बती मूल के लोगों पर चीनी जुल्मों का समर्थन करना.</span></span></li><li><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap; font-family:Arial;"><span class="Apple-style-span" style="font-size:medium;">भारत की रोटी खाना <b>लेकिन</b> चीन के गुण गाना. </span></span></li></ul><div><span class="Apple-style-span" style="font-family:Arial;font-size:130%;"><span class="Apple-style-span" style=" line-height: 21px; white-space: pre-wrap;font-size:14px;"><br /></span></span></div></div>जीत भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/15809114716055272312noreply@blogger.com4